Tuesday 3 March 2015

सिर्फ बाहर ही नहीं अपने अंदर भी रंग भरें

गलियों में उड़ता गुलाल ... रंग बिरंगी पिचकारियाँ .... तरह-तरह के पकवानों और गुझिया मिठाई की खुशबू .... मस्ती के रंगों में सराबोर लोग .... हर तरफ उठती पानी की फुहारें ....और सभी के मन में अद्भुत उमंग , यह होली का त्योहार है ही ऐसा जिसमे हर व्यक्ति अपने गमों को भूलकर झूम उठता है । सभी के चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान होती है , रंगों के साथ खुशियाँ भी छलकती हैं ... और पता है ऐसा क्यों होता है ! होली के दिन लोग इतने खुश इसलिए होते हैं क्योंकि वे खुशियों के रंग में रंगे होते हैं .... उनके मन में प्रेम भाव होता है , उत्साह होता है .... होली के दिन हम सभी एक दूसरे को लाल-गुलाबी , नीले-पीले और न जाने किन-किन रंगों में रंगते हैं , और हमारी दुनिया रंगीन हो जाती है । इन बाहरी रंगों के साथ-साथ अपने अंदर ... यानि अपने मन ... अपनी आत्मा में भी कुछ रंग भरें , जैसे प्रेम का रंग ... सदभावना का रंग .... विश्वास का रंग ... त्याग का रंग ... इससे हमारा जीवन हमेशा के लिए रंगों भरा और सुखमय हो जाएगा । हर दिन हमारे लिए होली और हर रात दिवाली होगी .... हर दिन की सुबह मुस्कान बिखेरती हुई आएगी .... हम हर दिन खुशियों को गले लगाएंगे .... तो आने वाली इस होली को मनाइए " मन की होली .... मन से होली " ...... ।
अंजलि पंडित 

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